माघ पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, पूर्वजों की कृपा से होंगे जीवन में चल रहे संकट दूर

 माघ पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, पूर्वजों की कृपा से होंगे जीवन में चल रहे संकट दूर

Magh Purnima

हिंदू धर्म के अनुसार माघ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है, इस तिथि पर स्नान, दान और जप करना बहुत पुण्यदायी बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ मास का शुक्ल पक्ष मनाया जाता है। माघ पूर्णिमा व्रत पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है, इसके साथ ही माघ पूर्णिमा के दिन माघ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है, इस खास दिन भक्तों को पवित्र स्नान, दान और पूजा से विशेष लाभ भी मिलता है और जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर होती हैं। माघ मास में चलने वाला यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है। माघ पूर्णिमा व्रत 23 फरवरी पूर्णिमा तिथि 2024 को दोपहर 03:36 बजे शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि 24 फरवरी को शाम 06:03 बजे समाप्त होगी।

माघ पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

माघ पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, पितरों का श्राद्ध और गरीबों को दान देना चाहिए।

माघ पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुएं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए।

स्नान के बाद सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।

स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए।

मध्यावधि में गरीब लोगों और ब्राह्मणों को भोजन और दान-दक्षिणा दी जानी चाहिए।

तिल और काले तिल का दान विशेष रूप से करना चाहिए।

माघ के महीने में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का अर्घ्य देना चाहिए।

माघ मेला और कल्पवास

हर साल तीर्थराज प्रयागराज (इलाहाबाद) में माघ मेला लगता है, जिसे कल्पवास कहा जाता है, इसमें देश-विदेश से श्रद्धालु भाग लेते हैं। प्रयाग में कल्पवों की परंपरा सदियों से चली आ रही है। माघ पूर्णिमा के दिन कल्पवास स्नान के साथ समाप्त होता है। माघ मास में कल्पवों की बड़ी महिमा होती है, इस महीने में तीर्थराज प्रयाग कल्पवास नामक संगम के तट पर निवास करते हैं। वेदों के संगम के तट पर निवास करते हुए अध्ययन और ध्यान करें।

माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति मघा नक्षत्र के नाम से होती है। माघ के महीने में देवता धरती पर आकर मनुष्य रूप धारण कर प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं, इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है।